HARYANA

2014 में पक्के हुए कर्मचारियों के लिए बुरी खबर

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सपष्ट कर दिया है कि राज्य के अनुबंधित कर्मचारी जिन्हें राज्य की 2014 की निति के माध्यम से नियमित किया गया है वे पदोन्नति से सम्बंधित किसी भी वितीय एवं अन्य लाभ के हक़दार नहीं होंगे | इन कर्मचारियों को CCL (Child Care Leave), LTC (Leave Travelling Concession) , वार्षिक बढौतरी (Annual Increment) व चिल्ड्रेन शिक्षा भत्ते (Children Education Allowance) का लाभ दिया जा रहा है ।

कोर्ट का फैसला

कोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार की कर्मचारियों को नियमित करने की 2014 की निति पर अभी तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई फैसला नहीं दिया गया है | जब तक सुप्रीम कोर्ट इस पर अंतिम फैसला नहीं देता तब तक इन कर्मचारियों को लाभ देना उचित नहीं है | इस फैसले से करीब बीस हजार से अधिक कर्मचारी प्रभावित होंगे | जस्टिस एमएस राम चंद्र राव व जस्टिस सुखविंदर कौर की खंडपीठ ने ऐकल बेंच के आदेश के खिलाफ सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है |

एकल बेंच ने सरकार को सभी लाभ जारी करने के आदेश दिए थे | बेंच ने एकल बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा है की सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने व यथास्थिति के आदेश के चलते अगर लाभ जारी कर दिए तो सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामले का कोई औचित्य नहीं रहेगा | कोर्ट ने यह भी साफ़ किया है की अगर सुप्रीम कोर्ट में फैसला अनुबंधित कर्मचारियों के हक़ में आ जाता है तो सभी लाभ ब्याज समेत मिलेंगे | 16 अक्टूबर 2019 को हाई कोर्ट की एकल पीठ ने भी राज्य सरकार को उन्हें लाभ देने के का आदेश दिया था | उन आदेशों के खिलाफ सरकार द्वारा वर्तमान अपील दायर की गयी है |

हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 2014 में बनी नियमित्तिकरण नीति को 31 मई 2018 को रद्द कर दिया था | सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिस पर 26 नवम्बर 2018 को यथास्थिति बनाये रखने के आदेश हुए थे |

प्रदेश की हुड्डा सरकार ने वर्ष 2014 में विभिन्न विभागों में कॉन्ट्रैक्ट एवं अस्थाई तौर पर तीन वर्षों से अधिक समय से कार्यरत ग्रुप बी,सी, व डी के 20 हजार कर्मचारियों को नियमित किया था | फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसके अनुसार इस नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं किया गया था | इन कर्मचारियों को नियमित करने का फैसला सीधे तौर पर बैकडोर एंट्री है | जबकि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है की सरकारी सर्विस के लिए पूरा प्रोसेस अपनाना चाहिए |

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