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Moringa : अमृत से कम नहीं हैं इस पेड़ के गुण

भारत में अनेक प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं | इनमे से कुछ पौधे तो गंभीर बिमारियों के इलाज में भी कम आते हैं | ऐसा ही एक पेड़ है “मोरिंगा” (Moringa plant)| इसका वैज्ञानिक नाम Moringa oleifera है | इस पौधे की पतियाँ गुणों से भरपूर है |

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मोरिंगा पौधा जितना स्वास्थ्यवर्धक होता है उतना ही विशाल भी होता है। यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बहुत प्रचलित है और स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। भारत में भी मोरिंगा पौधे की खेती होती है और उत्पादकता में भी भारत दुनिया में प्रमुख स्थान पर है। इस लेख में, हम मोरिंगा पौधे के बारे में विस्तार से जानेंगे।

मोरिंगा (Moringa) के बारे में

मोरिंगा पौधा, जिसे भारत में सहजन के नाम से जाना जाता है, स्थानीय रूप से दक्षिण एशिया में पाया जाता है। यह एक फलित पौधा होता है जो सबसे अधिक व्यापक रूप से प्रयोग किए जाने वाले पौधों में से एक है। मोरिंगा पौधा का वैज्ञानिक नाम Moringa oleifera है।

यह पौधा सामान्यतया 10-12 मीटर ऊँचा होता है और पत्तियों का आकार 30 सेमी से 60 सेमी तक होता है। इस पौधे की फलने वाली बुवाई 7-8 महीने तक रहती है और फलों का आकार 20 सेमी तक होता है।

मुख्य घटक (Main ingredients)

मोरिंगा ओलिफेरा लम्बी फलियों वाला, मानव स्वास्थ्य से जुड़े चमत्कारी गुणों से भरपूर पेड़ है, जो कि भारत और दुनिया भर में उगाया जाता है। विज्ञान में प्रमाणित किया है कि इस पेड़ का हर एक अंग के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। इसकी पत्तियों में प्रोटीन, विटामिन B6, विटामिन C, विटामिन A, विटामिन E, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक जैसे तत्व पाए जाते हैं। इसकी फली में विटामिन C और मोरिंगा की पत्ती में कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। मोरिंगा में एंटीऑक्सिडेंट (antioxidant), बायोएक्टिव प्लांट कंपाऊण्ड (Bioactive plant compound) होते हैं।

मोरिंगा की सूखी पत्तियों के 100 ग्राम पाउडर में दूध से 17 गुणा अधिक कैल्शियम और पालक से अधिक आयरन होता है। इसमें गाजर से 10 गुना अधिक बीटा-कैरोटीन (beta carotene) होता है, जो कि आंखों, 25 गुना स्किल और रोग प्रतिरोधक तंत्र के लिए बहुत लाभदायक है। मोरिंगा में केले से 3 गुना अधिक पोटैशियम और संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन C होता है। यह पत्तियाँ प्रोटीन का भी बेहतरीन स्त्रोत है, एक कप ताजी पत्तियों में 2 ग्राम प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन किसी भी प्रकार से मांसाहारी स्त्रोतों से मिले प्रोटीन से कम नहीं है, क्योंकि इसमें सभी आवश्यक एमिनो एसिड्स पाए जाते हैं।

फायदे (benefits):

★ सर्दी जुकाम में सहायक

★ कैंसर प्रतिरोधी

★ एंटी ऑक्सिडेंट (antioxidant)

★ वजन घटाने में सहायक

★ किडनी स्टोन समस्या से

★ एंटी-इन्फ्लेमेंटोरी (anti inflammatory)

★ थायराइड रोग में

★ दूध पिलाने वाली माताओं के लिए

★ स्किन रोगों के लिए

★ ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल में

★ न्यूट्रीशनल गुण

मोरिंगा पौधे को कई तरीकों से प्रसंस्कृत किया जा सकता है, जिससे इसका उपयोग कई और विस्तृत तरीकों से किया जा सकता है। कुछ महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं इस प्रकार हैं:

सूखा करना: मोरिंगा पत्तियों को सूखा करके उन्हें पाउडर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पाउडर को आमतौर पर नमकीन और मीठी दोनों प्रकार के व्यंजनों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह पाउडर भोजन के साथ-साथ दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

तेल के लिए बीजों का इस्तेमाल: मोरिंगा के बीजों से तेल निकाला जा सकता है जो कि खाने के लिए उपयोगी होता है। इस तेल को मसालों और अन्य व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। इस तेल को स्किन केयर उत्पादों जैसे लोशन, बाम और क्रीम में भी इस्तेमाल किया जाता है।

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खुराक (dose):

आम तौर पर एक व्यक्ति द्वारा दैनिक खुराक खाना खाने के पश्चात 2 ग्राम / 1 छोटा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें। इस मात्रा का सेवन करने से कोई साईड इफेक्ट नहीं होता है।

नोट: इस दौरान गर्भवती महिलाओं को मोरिंगा की छाल जौर जड़ से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

मोरिंगा पौधे को उगाने के लिए निम्नलिखित कदम फॉलो किए जा सकते हैं:

मौसम और मिट्टी की चयन: मोरिंगा पौधों को सबसे अच्छी तरह सूर्यप्रकाश प्रदान करने वाले स्थान पर उगाया जाना चाहिए। इस पौधे को रोपण के लिए सबसे अच्छी मिट्टी समृद्ध तथा अच्छी ड्रेनेज वाली होनी चाहिए।

बीजों की बुआई: मोरिंगा के बीज को फ़रवरी और मार्च के बीच बुआई जाना चाहिए। यह बीजों के लिए सबसे अच्छा समय होता है।

बीजों को तैयार करें: बीज को सफाई करें और पानी में एक घंटे तक भिगोकर रखें। इससे बीज के अंदर मौजूद कीटाणुओं को मार दिया जाएगा।

रोपण: मोरिंगा के बीज को 2 से 3 सेंटीमीटर गहराई में फोड़कर खोदें। बीजों के बीच दूरी 10 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए। फिर उन्हें पानी से भरे हुए खाद्य घड़े में रखें।

सिंचाई: मोरिंगा पौधों को उचित मात्रा में सिंचाई की आवश्यकता होती है। सिंचाई की आवश्यकता पौधों के उम्र और मौसम के आधार पर निर्धारित की जाती है। यह ध्यान रखते हुए कि ज्यादा पानी देने से पौधे की जड़ें रखने में मुश्किल हो सकती हैं, सिंचाई को सावधानी से करना चाहिए।

कटाई: मोरिंगा के पत्ते और शाखाएं तना हो जाने पर कटाई की जाती है। कटाई के दौरान ध्यान रखना चाहिए कि पौधे की जड़ें नहीं कटी जाएं। अधिकतम उत्पादकता के लिए पौधे को 6 से 8 फीट की ऊंचाई पर रखा जाना चाहिए।

भंडारण: मोरिंगा के बीज, पत्ते और शाखाओं को भंडारित करने के लिए इन उत्पादों को सुखा देना चाहिए। सुखाने के दौरान सीधे सूरज के तापमान से बचाना चाहिए। बीज और शाखाएं कम से कम 10-15 दिनों के लिए सुखाने के बाद उन्हें एक स्थान पर इकट्ठा करना चाहिए।

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