HARYANA

SYL मामला : सतलुज यमुना लिंक (SYL) मुद्दे पर हरियाणा सरकार की दो टूक

On Sutlej Yamuna link (SYL) issue, Both the states are stick to their positions

हरियाणा के राज्यपाल ने हाल ही में राज्य के बजट सत्र को संबोधित किया राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने सोमवार को कहा कि हरियाणा सरकार रावी और ब्यास नदियों में राज्य के हिस्से का पानी प्राप्त करने के लिए सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।। SYL के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के भीच काफी समय से विवाद बना हुआ है | यह विवाद SYL नहर के माध्यम से पानी लेने के सम्बन्ध में है | SYL नहर के पूरा हो जाने के बाद रावी और ब्यास नदियों के पानी को पंजाब और हरियाणा के बीच साझा किया जा सकेगा। पंजाब, दोनों नदियों के पानी को हरियाणा के साथ साझा करने का विरोध कर रहा था |


सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर क्या है ?

SYL नहर सतलुज और यमुना नदियों के बीच एक नहर है। यह नहर हरियाणा और पंजाब के बिच साझा तंत्र है | इस पूरा होने के बाद, पंजाब और हरियाणा राज्य रावी और ब्यास के पानी को साझा करेंगे। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। रावी, ब्यास और सतलज पर भारत का अधिकार हो गया। 1966 में, हरियाणा राज्य को पंजाब से अलग कर दिया गया | विभाजन के बाद, पंजाब ने हरियाणा राज्य को अपना पानी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद हरियाणा ने एसवाईएल (SYL) नहर का प्रस्ताव दिया था।

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इस प्रस्ताव को 1981 में पंजाब ने मान लिया और नहर का निर्माण शुरू किया गया | अकाली दल इस नाहर के निर्माण के खिलाफ था | जिस कारण नहर निर्माण के विरोध में आन्दोलन शुरू गए | अकाली दल का मानना था की रिपेरियन सिद्धांत (riparian principles) के अनुसार पानी पर केवल पंजाब का अधिकार है |


हरियाणा सरकार का रुख

इस मामले में जहाँ पंजाब सरकार लगातार इस परियोजना के खिलाफ है वहीं हरियाणा सरकार इसे लागू करने के लिए प्रयासरत है | राज्य सरकार एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है ताकि राज्य के हिस्से का पानी प्राप्त किया जा सके। सरकार यमुना पर रेणुका, किशाऊ और लखवार व्यासी जैसे अप-स्ट्रीम स्टोरेज बांधों के निर्माण के लिए भी प्रतिबद्ध है। सरस्वती नदी पुनर्जीवन परियोजना के तहत आदि बद्री बांध के निर्माण के लिए प्रारंभिक मंजूरी और डिजाइन का काम चल रहा है। काम अक्टूबर से पहले शुरू होने की संभावना है |

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार हरियाणा को अपने हिस्से का पानी मिलना चाहिए | इस बारे में तीन बैठकें होने के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है | अंतत: सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा और अपना फैसला सुनाएगा।


सहमती की नाकाम कोशिश

इस मुद्दे पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर जल-बंटवारे के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी।
बैठक के बाद, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनके राज्य के पास साझा करने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं है | जबकि हरियाणा के उनके समकक्ष मनोहर लाल खट्टर ने एक बयान में कहा कि नहर का निर्माण पूरा करना और इसके माध्यम से पानी प्राप्त करना हरियाणा के अधिकार का मामला है |


हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा है कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी नहीं मान रही है जिसने पंजाब (जल समझौते की समाप्ति) अधिनियम -2004 को रद्द कर दिया था। पंजाब के इस रवैये से सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया जाएगा और अंतिम फैसले को स्वीकार्य होगा |


अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट के अधीन

खट्टर ने कहा कि SYL हरियाणावासियों का अधिकार है और उन्हें उम्मीद है कि राज्य को उसका हिस्सा मिलेगा. एसवाईएल का पानी हरियाणा के लिए बहुत जरूरी है। इस मामले में एक समय सीमा तय करना जरूरी है ताकि राज्य के किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. यह सर्वविदित तथ्य है कि सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने एसवाईएल का निर्माण पूरा नहीं किया है।

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